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जब खुला करतारपुर गलियारा: दुनियाभर से आए दिलों में दिखा उजियारा

10 नवंबर से पब्लिक के लिए खुला करतारपुर कॉरिडोर

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लाहौर से करीब साढ़े तीन घंटे का सफर तय करने के बाद मैं करतारपुर साहब गुरुद्वारा पहुंचा, तो सफेद मार्बल से बना वो गुरुद्वारा तेज सूरज की धूप में दुधिया रोशनी बिखेर रहा था. हर तरफ चहल-पहल नजर आ रही थी. गेट पर सिक्योरिटी गार्ड्स का पहरा और चेकिंग के बाद अंदर आते श्रद्धालुओं के जत्थे.

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दरअसल मैं करतारपुर कॉरिडोर का उद्घाटन समारोह कवर करने भारत से पाकिस्तान गए पत्रकारों के एक समूह की नुमाइंदगी कर रहा था. करीब दो घंटे पहले अयोध्या को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ चुका था. हम तमाम लोग नेटवर्क क्षेत्र से बाहर थे, लेकिन हम जानते थे कि भारत में अयोध्या ही इस वक्त सबसे बड़ी खबर है. लिहाजा सब लोगों का उत्साह करतारपुर कवरेज को लेकर ढीला हो चुका था.

लेकिन करतारपुर साहब दर्शन के लिए पहुंच रहे श्रद्धालुओं के जोश और उनके चेहरों की मुस्कान देखकर हमारे उत्साह में थोड़ी बढ़ोतरी हुई. अमेरिका, कनाडा, यूरोप समेत भारत के कई शहरों से आए उन लोगों की आस्था ने हमें भी उत्साहित कर दिया.
10 नवंबर से पब्लिक के लिए खुला करतारपुर कॉरिडोर
करतारपुर साहब दर्शन के लिए देश-विदेश से पंहुचे श्रद्धालु
(फोटो: नीरज गुप्ता / क्विंट हिंदी)

श्रद्धालुओं में उत्साह

50 साल से पेरिस (फ्रांस) में पब्लिक ट्रांसपोर्ट का बिजनेस चला रहे शिंगार सिंह मान ने डेढ़ महीना पहले ‘जर्नी फॉर करतारपुर’ की शुरुआत की थी. कनाडा से इंग्लैंड और यूरोप घूमते हुए 21,000 किमी का सफर तय करके पाकिस्तान पहुंचे मान कहते हैं :

करतारपुर गलियारे की शुरुआत सिखों के लिए बहुत बड़ी बात है. आजादी के बाद पहली बार गुरु के दर्शन हुए हैं. पाकिस्तान की सरकार ने एक साल में इस रेगिस्तान को पूरी तरह बदल दिया है. सभी धर्मों के लोग खुश हैं इससे.

अमेरिका के कैलिफोर्निया में नौकरी करने वाली मीनू कोचर कहती हैं :

नानक जी के लिए आए हैं. गुरुद्वारे तो अमेरिका में भी हैं, लेकिन करतारपुर साहब की बात ही कुछ और है.

न्यूयॉर्क से करतारपुर दर्शन के लिए आईं हरदीप कौर भट्टी कहती हैं:

मैंने पूरी जिंदगी इस पल का इंतजार किया था. इमरान खान और नवजोत सिद्धू की वजह से मेरा सबसे बड़ा सपना पूरा हुआ है. मैं ऐसा सुरक्षित माहौल देने के लिए पाकिस्तान सरकार की शुक्रगुजार हूं.
हरदीप कौर भट्टी, श्रद्धालु
10 नवंबर से पब्लिक के लिए खुला करतारपुर कॉरिडोर
न्यूयॉर्क से करतारपुर दर्शन के लिए आईं हरदीप कौर भट्टी (बायें) और कैलिफोर्निया से आईं मीनू कोचर (दायें)
(फोटो : नीरज गुप्ता / क्विंट हिंदी)

कैलिफोर्निया में डॉक्टरेट कर रहे अमरजोतपाल सिंह संधू तो करतारपुर दर्शन को अपने संस्कारों से जोड़ देते हैं :

अमेरिका जैसे देशों में जाकर हम अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में इस कदर मसरूफ हो जाते हैं कि अपनी जड़ों को भूल जाते हैं. इस तरह की जगहों पर आकर हम सिख धर्म को और ज्यादा समझते हैं. मैं जानना चाहता हूं कि मेरी जड़ें कहां हैं.
अमरजोतपाल सिंह संधू, दर्शनार्थी
10 नवंबर से पब्लिक के लिए खुला करतारपुर कॉरिडोर
अपनी जड़ों की तलाश में केलीफोर्निया से करतारपुर पहुंचे अमरजोतपाल सिंह संधू
(फोटो : नीरज गुप्ता / क्विंट हिंदी)

केलिफोर्निया से अपने परिवार के साथ आईं हरविंदरपाल कौर संधू कहती हैं :

हम यहां अपना कल्चर देखने आए हैं. यहां गुरु नानकदेव जी रहे थे. यहां ऑरिजिनल चीजें हैं जिन्हें हम छूना-महसूस करना चाहते हैं.
हरविंदरपाल कौर संधू, दर्शनार्थी
10 नवंबर से पब्लिक के लिए खुला करतारपुर कॉरिडोर
अपनी संस्कृति को करीब से महसूस करने केलिफोर्निया से करतारपुर आईं हरविंदरपाल कौर संधू
(फोटो : नीरज गुप्ता / क्विंट हिंदी)

साल 1990 में भारत के पंजाब से कनाडा के वैंकूवर में जाकर बस गए बहादुर सिंह मान वहां कंस्ट्रक्शन का काम करते हैं. कनाडा से सीधे लाहौर और वहां से करतारपुर साहब पहुंचने के बाद वो कहते हैं:

गुरुद्वारे तो और भी हैं, लेकिन ये हमारा मक्का है और हम अपने मक्का के दर्शन करने आए हैं. हम सरकार का धन्यवाद करते हैं, हमें ये मौका देने के लिए.
बहादुर सिंह मान, श्रद्धालु

खास है करतारपुर साहब

पंजाब के नरोवाल जिले में स्थित करतारपुर साहब गुरुद्वारे की सिख और बाकी तमाम समुदायों में खास अहमियत है. सिखों के प्रथम गुरु नानकदेव जी ने अपनी जिंदगी के आखिरी करीब 18 साल यहीं बिताए थे. भारत और पाकिस्तान की सरकारों ने लंबे इंतजार के बाद 9 नवंबर को करतारपुर कॉरिडोर का उद्घाटन किया और 10 नवंबर से श्रद्धालु इस सड़क के रास्ते करतारपुर साहब आने के लिए इस गलियारे का इस्तेमाल कर सकेंगे.

10 नवंबर से पब्लिक के लिए खुला करतारपुर कॉरिडोर
करतारपुर साहब गुरुद्वारे की सिख और बाकी तमाम समुदायों में खास अहमियत है
(फोटो : नीरज गुप्ता / क्विंट हिंदी)

अमन की उम्मीद!

हालांकि 9 नवंबर को उद्घाटन समारोह में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कश्मीर का राग छेड़कर करतारपुर कॉरिडोर के मुद्दे को भटकाने की कोशिश की, लेकिन यहां पहुंचे लोगों को लगता है कि श्रद्धालुओं के लिए बॉर्डर का खुलना अच्छी शुरुआत है और इससे भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव दूर होने में मदद मिलेगी.

10 नवंबर से पब्लिक के लिए खुला करतारपुर कॉरिडोर
श्रद्धालुओं का मानना है कि करतारपुर कॉरिडोर से भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव दूर होने में मदद मिलेगी
(फोटो : नीरज गुप्ता / क्विंट हिंदी)

इस बारे में शिंगार सिंह मान कहते हैं:

मेरे हिसाब से तो जरूर अमन लाएगा, क्योंकि बाबा नानक का संदेश यही है कि हम नहीं चंगे, बुरा नहीं कोई.
शिंगार सिंह मान, दर्शनार्थी

मीनू कोचर को लगता है कि सौ फीसदी तनाव भले ही कम न हो, लेकिन यहां से शुरुआत तो हो ही सकती है.

हरदीप कौर भट्टी की उम्मीदें ज्यादा पक्की हैं:

ये कॉरिडोर भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव कम करने में जरूर मददगार होगा. अगर बर्लिन की दीवार गिर सकती है, तो हमारी सरहद क्यों नहीं मिट सकती. लोगों को एक-दूसरे से मिलने दो. यहां का पंजाब हो या वहां का, लोग एक जैसे हैं.
हरदीप कौर भट्टी, श्रद्धालु

युवा अमरजोत कहते हैं:

हम देख रहे हैं कि सरहद खुल रही है, जो भारत और पाकिस्तान को जोड़ेगी. भारत और पाकिस्तान एक-दूसरे को आमंत्रित कर रहे हैं. इससे तनाव जरूर कम होगा. अगर हम लोगों को आपस में मिलने देंगे तो भारत और पाकिस्तान में बेहतर संबंध होंगे.
अमरजोत, दर्शनार्थी

लोगों की इन उम्मीदों के बीच हरविंदरपाल कौर संधू की दोनों देशों के सियासतदानों और लोगों से एक बड़ी मासूम सी अपील है:

‘खुश रहो, रब नू मन्यो (भगवान को मानो), झगड़ा मत करो.’

काश! दोनों देशों के सियासतदान इस अपील को सुनकर उस पर अमल कर पाएं.

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