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Overthinking: ओवरथिंकिंग (Overthinking) यानी जरूरत से ज्यादा सोचने की समस्या दुनिया में लाखों-करोड़ों लोगों को है. सोचना हमारे लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन यह कभी-कभी कुछ ज्यादा ही हो जाता है. इसकी वजह से लोगों की निजी जिंदगी पर भी असर पड़ने लगता है. शारीरिक और मानसिक समस्याएं पैदा होने लगती हैं. रिश्तों पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है. ओवरथिंकिंग से कई बार बहुत अधिक गुस्सा या निराशा महसूस होती है. दूसरों के साथ-साथ कभी-कभी खुद पर से भी विश्वास उठने लगता है. लंबे समय से चली आ रही ओवरथिंकिंग की समस्या खतरनाक भी साबित हो सकती है.
हम ओवरथिंकिंग क्यों करते हैं? क्या हैं ओवरथिंकिंग के लक्षण? ओवरथिंकिंग की वजह से किस तरह की समस्याएं हो सकती हैं? ओवरथिंकिंग से कैसे बचा जा सकता है? ओवरथिंकिंग से जुड़े महत्वपूर्ण सवालों के जवाब जानते हैं मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट से.
ओवरथिंकिंग हमारी सोच का एक ऐसा पैटर्न है, जिसमें किसी भी स्ट्रेस के चलते, हमारे पुराने अनुभवों के चलते, हमारे वर्तमान हालात को लेकर या हमारे आने वाले कल को लेकर एक चिंताजनक सोच की धारणा बननी शुरू हो जाती है.
मीमांसा सिंह तंवर फिट हिंदी से आगे कहती हैं, "इसमें एक सोच के साथ दिमाग में बात शुरू होती है और वो बात आगे बढ़ते-बढ़ते इतनी दूर आपको ले जाती है कि आप ये देखते हैं कि इतनी छोटी सी बात दिमाग में शुरू हुई और बहुत दूर तक आप उस बात को नेगेटिव तरीके से नेगेटिव आउटकम के साथ उस बात को सोचते चले गए".
ओवरथिंकिंग में क्या हो अगर और इस सिचुएशन में ऐसे कर सकता था वाली बातें नजर आती हैं.
ओवरथिंकिंग यानी जरूरत से ज्यादा सोचना, आदत हो जाती है, जिसमें व्यक्ति किसी घटना, तनाव पैदा करने वाली बातों, किसी पुराने अनुभव, वर्तमान परिस्थिति या फिर भविष्य के बारे में जरूरत से ज्यादा सोच-विचार करते हुए खुद को तनावग्रस्त कर लेता है.
"इस तरह से सोचना या तो किसी निगेटिव परिणाम को लेकर होता है या फिर भय या यह कि ‘अगर ऐसा हुआ तो’ जैसी संभावित स्थितियों के बारे में होता है. ‘अगर मैंने एग्जाम में अच्छे नंबर नहीं लिए तो’ क्या होगा जैसे सवाल बार-बार दिमाग को मथते हैं" ये कहना है मीमांसा सिंह तंवर का.
लोगों को या तो ओवरथिंक करने की आदत होती है या फिर कई बार वे एंजाइटी, डिप्रेशन, पीटीएसडी जैसी मानसिक परेशानियेां की वजह से भी बेकार की बातें सोच-सोचकर खुद को परेशान करते हैं.
ओवरथिंकिंग के लक्षणों में शामिल हैं:
दिमाग में अनचाही बातों का चलते रहना
किसी भी काम पर ध्यान न दे पाना
अपनी जिम्मेदारियों को सही ढंग से पूरा न कर पाना
कुछ भी करने की इच्छा न होना
कंफ्यूज रहना
नींद में खलल
एनर्जी में कमी रहना
आत्मविश्वास में कमी
भावनात्मक रूप से उदास और निराश महसूस करना
काफी समय से ओवरथिंक करने यानी ज्यादा सोचने और उससे परेशान रहने के कारण हाइपरटेंशन की समस्या हो सकती है. एंजाइटी डिसऑर्डर होने की आशंका भी बढ़ जाती है. यह सामाजिक समस्या भी बढ़ा सकता है जैसे कि ओवरथिंकिंग की वजह से आप चिड़चिड़े हो जाते हैं और चिड़चिड़ाहट में किसी भी बात पर गुस्सा करने की आदत बन सकती है. ऐसे में लोग आपसे दूरी बनाना भी शुरू कर सकते हैं.
मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट ने ओवरथिंकिंग को दूर भगाने के लिए बताए ये आसान उपाय:
जब भी हम ओवरथिंकिंग करते हैं, तो हमारे अंदर से ही ऐसा दबाव बढ़ता जाता है, जो प्रभावित व्यक्ति को उसी सोचने की प्रक्रिया में उलझे रहने के लिए उकसाता है. जब भी आपको लगे कि आप किसी बात को लेकर फालतू में सोच-विचार कर रहे हैं, तो अपने दिमाग में उठने वाले हरेक विचार पर ध्यान न देने की कोशिश करें, ऐसा करने के लिए खुद को किसी दूसरे काम में व्यस्त करें और अपना ध्यान किसी दूसरी मन को खुश करने वाली एक्टिविटी में लगाएं.
माइंडफुलनैस का अभ्यास करें. इसके लिए प्राणायाम, बॉडी स्कैन्स जैसी तकनीकों की मदद लें या अपने आसपास प्रकृति को देखें, वर्तमान पर ध्यान केंद्रित करें. इस तरह, आप अपने मन में उठने वाले विचारों को धीरे-धीरे पीछे धकेल सकेंगे. उनसे अपना दिमाग हटाना सीखेंगे और वर्तमान के बारे में ज्यादा सजग रहेंगे.
उन परिस्थितियों/घटनाओं को दूर करने की कोशिश करें, जिनकी वजह से आप जरूरत से ज्यादा सोच-विचार करते हैं. कोशिश करें कि सकारात्मक बातें सोचें और खुद को बार-बार यह भरोसा दिलाएं कि जो भी होगा आप उससे आसानी से निपटेंगे.
यदि जरूरत से ज्यादा सोचने की आदत बढ़ रही हो और इसकी वजह से आपका मूड भी प्रभावित रहने लगे तो मदद के लिए किसी मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट से मिलने में देरी न करें.
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Published: 07 Feb 2023,02:15 PM IST