ADVERTISEMENTREMOVE AD

भीख मांगने को मजबूर किसान को बता दिया आतंकी, अब वो रास्ता भी बंद

बेंगलुरु में कुछ दिन पहले मीडिया ने बिना सच जाने एक शख्स को ‘संदिग्ध आतंकवादी’ करार दे दिया, क्या है उसकी कहानी?

Updated
भारत
5 min read
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

साजिद खान हर सवाल पर चौकन्ना हो जाता है. उसकी आंखें चौड़ी हो जाती हैं. वो हर शब्द सुनने की और अपनी बात कहने की कोशिश करता है. पश्चिमी बंगलुरु में एक लॉज के अंधेरे कमरे में दो दिनों से पड़ा ये शख्स अजनबी चेहरों को देखकर आतंकित है.

इस आतंक और डर की खास वजह है. बेंगलुरु में एक हफ्ते पहले मीडिया ने उसे ‘संदिग्ध आतंकवादी’ करार दे दिया था और उसे चार दिनों तक इस बारे में मालूम भी नहीं था.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

इस आर्टिकल को पढ़ने के लिए नीचे क्लिक करें

लॉज की दीवारों पर पान की पीक के धब्बों के साथ काले रंग का एक कोट टंगा है. ये वो कोट है जिसे साजिद ने 6 मई को मैजेस्टिक मेट्रो स्टेशन पर पहन रखा था. उस शाम सीसीटीवी के फुटेज में साजिद को स्टेशन से बाहर निकलते हुए नोट किया गया. जैसे ही साजिद मेटल डिटेक्टर से होकर गुजरा, मेटल डिटेक्टर की लाइट जल उठी. इसके फौरन बाद मीडिया में उसे लेकर स्टेशन पर बम लगाने की साजिश रचने की कहानियां चलने लगीं. मीडिया के कुछ हलकों ने तो उसके काले कोट को बम वेस्ट भी बता डाला.

0

अब अपनी सुरक्षा के लिए पुलिस संरक्षण में बैठा साजिद पिछले हफ्ते खुद पर लगे इल्जामों से सकते में है. 38 साल का साजिद अपनी पत्नी और अपने दो साल के बच्चे की ओर इशारा करके कहता है, जो लॉज की फर्श पर बैठे हुए हैं,“साब, वो बम होने की बात कर रहे हैं. मैं तो अपने बच्चों के लिए पटाखे तक नहीं खरीद सकता.”

परिवार का पेट पालने के लिए यात्रा

चार साल पहले राजस्थान के झुंझुनू में आए अकाल में साजिद की फसल बर्बाद हो गई. उस वक्त साजिद पहली बार बेंगलुरु आया. बेंगलुरु में पहले से रहने वाले उसके कुछ रिश्तेदारों ने बताया कि वहां जकात के रूप में (रमजान के दौरान दिया जाने वाला दान) काफी पैसे मिल जाते हैं, जिनसे मुश्किल भरे समय में उसके परिवार को मदद मिल सकती है.

उस समय से वो हर साल रमजान के महीने में अपने परिवार के साथ बेंगलुरु आता है और दरगाह और दूसरे धार्मिक जगहों के पास से जकात जमा करता है. ईद से पहले शहर छोड़ते समय एक महीने में उसके पास इतना पैसा इकट्ठा हो जाता है कि राजस्थान में कई महीने तक उसका गुजारा चल जाए.

“मेरी पत्नी, मेरा बेटा और मैं बेंगलुरु के लिए ट्रेन पकड़ते हैं. रमजान के महीने में हम शहर के अलग-अलग हिस्सों में भीख मांगकर पैसे इकट्ठा करते हैं, जिससे कुछ महीने हमारा गुजारा चल जाता है. मेरी एक बड़ी बेटी है. वो राजस्थान में मेरी बहन के साथ रहती है. मेरा बेटा छोटा है, इसलिए उसे हम साथ ले आते हैं.”
साजिद

मेट्रो स्टेशन पर रात

बेंगलुरु में कुछ दिन पहले मीडिया ने बिना सच जाने एक शख्स को ‘संदिग्ध आतंकवादी’ करार दे दिया, क्या है उसकी कहानी?
मैजेस्टिक मेट्रो स्टेशन की एक झलक
(फोटो: द क्विंट)

6 मई की घटनाओं को याद करते हुए साजिद ने कहा, “मुझे नहीं मालूम था कि ये मेट्रो स्टेशन है.” मैजेस्टिक इलाके के व्यस्त कॉम्प्लेक्स में शाम को भीख मांगने के बाद उसने कई लोगों को एक बड़ी इमारत में घुसते देखा. उसने बताया, “मैंने सोचा कि ये भी शॉपिंग कॉम्प्लेक्स होगा और अंदर चला गया. उस दिन जमा हुए करीब 200 रुपये मेरी जेब में थे. अपनी आदत के मुताबिक मैंने उन पैसों को अपनी धोती में बांध रखा था.”

जैसे ही उसने अंदर प्रवेश किया, सुरक्षा गार्ड ने उससे हाथ उठाने को कहा. मेटल डिटेक्टर की लाइट जल चुकी थी. सुरक्षा गार्ड ने उससे कन्नड़ भाषा में कुछ कहा, जो उसकी समझ में नहीं आया. लेकिन तब तक उसकी समझ में ये बात आ चुकी थी कि ये इमारत शॉपिंग कॉम्प्लेक्स नहीं है और वो बाहर निकल आया.

उस वक्त तक अंधेरा छाने लगा था. दिन में कम ब्लड प्रेशर के कारण उसकी पत्नी को चक्कर आ गया था और वो अकेली थी. लिहाजा वो वापस अपने ठहरने की जगह चला गया.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

मीडिया रिपोर्ट से बेखबर साजिद

बेंगलुरु में कुछ दिन पहले मीडिया ने बिना सच जाने एक शख्स को ‘संदिग्ध आतंकवादी’ करार दे दिया, क्या है उसकी कहानी?
सीसीटीवी फुटेज का स्क्रीनग्रैब
(फोटो: स्क्रीनग्रैब)

वो मीडिया की इस रिपोर्ट से बेखबर था कि उसे संदिग्ध आतंकवादी करार दे दिया गया है, क्योंकि वो टेलिविजन नहीं देख सकता था. दो दिनों तक टीवी चैनलों में शहर में संदिग्ध आतंकवादी होने की कहानियां चलती रहीं, जो मेट्रो स्टेशन पर बम रखने में नाकाम रहा था.

दबाव में आकर बेंगलुरु पुलिस ने शहर के सभी मेट्रो स्टेशन पर अलर्ट जारी कर दिया और ‘संदिग्ध आतंकवादी’ की तलाश के लिए तीन स्पेशल टीम गठित किया. मेट्रो स्टेशन से बमुश्किल एक किलोमीटर दूर साजिद अपनी पत्नी को खाना खिलाने के बाद रात गुजार रहा था. उसे इस बात की बिलकुल जानकारी नहीं थी कि पूरे शहर में उसकी खोज हो रही है.

अगले तीन दिनों तक साजिद भीख मांगता रहा. इन दिनों मैजेस्टिक के बजाय वो शहर के दूसरे इलाकों में भीख मांग रहा था. आखिरकार 10 मई को उसे हिरासत में ले लिया गया.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

एक तलाशी अभियान का अंत

10 मई को मैजेस्टिक इलाके का चक्कर लगाने के बाद वो बेंगलुरु के आरटी नगर इलाके में एक दरगाह में गया. मीडिया रिपोर्ट से वाकिफ एक ऑटो-रिक्शा ड्राइवर ने उसे देखा और फौरन पुलिस को खबर दी, जिसके बाद पुलिस ने उस इलाके में खोज-बीन शुरू कर दी.

मस्जिद से लौटते वक्त किसी ने पीछे से साजिद को पकड़ लिया. ये एक पुलिस वाला था, जिसने उसका हाथ जोर से पकड़कर उसे साथ चलने को कहा. साजिद ने पूछा कि उसका गुनाह क्या है, लेकिन पुलिस वाले ने उससे इतना ही कहा कि सीनियर अधिकारी उससे मिलना चाहते हैं.

मेट्रो स्टेशन जाने के चार दिनों बाद, पुलिस स्टेशन जाकर उसे पता चला कि इस बीच क्या हुआ है. पुलिस ने कई घंटों तक उससे पूछताछ की और उसके बयान दर्ज किये गए. तलाशी के लिए उसे उसके निवास पर ले जाया गया, जहां पुलिस को देखकर उसकी पत्नी बेहोश हो गई.

पूरी रात पूछताछ के बाद पुलिस मान गई कि साजिद महज एक भिखारी है, जिसे मेट्रो ट्रेन के बारे में भी मालूम नहीं है.

‘अगर आप इजाजत दें तो मैं रुक जाऊंगा’

पुलिस की प्रक्रिया पूरी होने तक साजिद को लॉज के कमरे में पुलिस की निगरानी में रखा गया. पुलिस को ये भी आशंका थी कि उसे छोड़ देने पर उस पर हमला हो सकता है, क्योंकि सोशल मीडिया में अब भी मीडिया रिपोर्ट प्रसारित हो रही थी. उसे क्लीन चिट मिलने की बात मीडिया ने अपनी प्राइम-टाइम खबरों में शामिल नहीं किया था.

उसका बेटा निगरानी करने वाले कॉन्स्टेबल के मोबाइल फोन से खेल रहा है, लेकिन साजिद परेशान है. घर पर बैठे रहने का मतलब उस आमदनी से महरूम रहना है, जिसके जरिये वो अपने परिवार की देखरेख कर सकता है, क्योंकि रमजान का पवित्र महीना खत्म होने से पहले उसे पर्याप्त धन इकट्ठा करना है. दोबारा वो बेंगलुरु आएगा या नहीं, इसे लेकर वो उहापोह में है.

“अगर इस शहर के लोग मुझपर दया करेंगे और इजाजत देंगे तो मैं वापस आउंगा. मुझे नहीं मालूम कि मैं अब क्या करूंगा.”
साजिद

आगे क्या करना है इसे लेकर वो उहापोह में है, फिर भी एक बात साफ है – अब वो जिंदगी में कभी मेट्रो स्टेशन नहीं जाएगा. अजान सुनते ही साजिद कहता है कि वो डरा हुआ है, लेकिन वो जानता है कि सही इंसान के साथ कुछ भी गलत नहीं होगा, खासकर रमजान के पवित्र महीने में.

ये भी पढ़ें- रमजान में सेहरी के लिए वक्त पर जगाने वाले ‘सेहरखान’ की दास्तां

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×