ADVERTISEMENTREMOVE AD

‘विदेशी’ मानकर हिरासत शिविर में रखी गई महिला तीन साल बाद रिहा

1951 के बाद पहली बार अपडेट की जा रही है NRC लिस्ट

Published
story-hero-img
छोटा
मध्यम
बड़ा

असम में 'विदेशी' समझकर हिरासत शिविर में रखी गई 59 वर्षीय महिला को तीन साल बाद रिहा कर दिया गया. पुलिस ने स्वीकार किया है कि महिला गलत पहचान की शिकार हुईं. अधिकारियों ने गलत व्यक्ति को हिरासत में लिया था.

मधुबाला मंडल कोकराझार स्थित अवैध आप्रवासियों के शिविर से रिहा होने के कुछ देर बाद बुधवार शाम को अपनी बधिर बेटी के घर लौट आई.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

मधुबाला दास की जगह मधुबाला मंडल को भेज दिया गया हिरासत शिविर

मधुबाला की रिहाई विदेशियों के न्यायाधिकरण के समक्ष पुलिस के यह स्वीकार करने के बाद हुई कि उन्होंने 2016 में न्यायाधिकरण द्वारा विदेशी घोषित की गई मधुबाला दास की जगह मधुबाला मंडल को हिरासत शिविर में भेज दिया था. दोनों महिलाएं चिरांग जिले के विष्णुपुर से संबंध रखती हैं.

चिरांग जिले के पुलिस अधीक्षक सुधाकर सिंह ने मीडिया को बताया-

“मुझे जब यह शिकायत मिली कि मधुबाला मंडल गलत पहचान का शिकार हुई हैं और उन्हें हिरासत केन्द्र भेज दिया गया तो मैंने जांच बिठाई और तथ्य सामने आ गए. यह गलत पहचान का मामला था.”  

सुधाकर ने पुलिस मुख्यालय को इसकी सूचना दी और इस कार्रवाई में सुधार के लिए विदेशियों के न्यायाधिकरण गए. उन्होंने कहा, "न्यायाधिकरण ने 25 जून को उन्हें रिहा करने का आदेश जारी किया."

गलत पहचान पर स्थानीय लोगों ने क्या कहा?

स्थानीय लोगों के अनुसार, न्यायाधिकरण द्वारा नोटिस जारी करने से बहुत पहले ही मधुबाला दास और उनके पति माखन नाम दास की मृत्यु हो गई थी.

दास के परिवार के एक सदस्य ने बताया, "ट्रिब्यूनल ने मधुबाला दास के नाम पर नोटिस जारी किया लेकिन पुलिस ने मधुबाला मंडल को गिरफ्तार कर लिया और उसे हिरासत शिविर में भेज दिया."

सनाउल्लाह मामले में भी हुई थी गलती

मई में, कारगिल युद्ध का हिस्सा रहे सेना के अफसर मोहम्मद सनाउल्लाह को विदेशी ठहराते हुए हिरासत शिविर में भेज दिया गया था. न्यायाधिकरण द्वारा उन्हें 'विदेशी' घोषित किए जाने के बाद गोलपारा जिले के एक हिरासत शिविर में भेज दिया गया था.

बाद में, उनके परिवार ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. इसके बाद गुवाहाटी हाई कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी और उन्हें हिरासत शिविर से रिहा कर दिया.

1951 के बाद पहली बार अपडेट की जा रही है NRC लिस्ट

पिछले साल 30 जुलाई को प्रकाशित हुए एनआरसी की लिस्ट में 40 लाख नाम जोड़े गए थे. मधुबाला मंडल की रिहाई के एक दिन बाद एनआरसी ड्राफ्ट से एक लाख से ज्यादा लोगों को बाहर कर दिया गया है.

NRC के राज्य समन्वयक द्वारा जारी किए गए एक बयान के अनुसार, स्थानीय पंजीयक नागरिक पंजीकरण (LRCR) द्वारा किए गए सत्यापन की प्रक्रिया के दौरान 1,02,462 व्यक्तियों को अयोग्य घोषित किया गया था.

असम में अवैध प्रवासियों की पहचान करने के लिए 1951 के बाद पहली बार एनआरसी लिस्ट को अपडेट किया जा रहा है. NRC को सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में अपडेट किया जा रहा है और अंतिम लिस्ट 31 जुलाई को जारी होने वाली है.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×