कोरोना की दूसरी लहर के बीच ब्लैक फंगस ने दहशत को और बढ़ा दिया है. संक्रमण से उबर चुके कई लोग ब्लैक फंगस की चपेट में आए हैं, और समय पर इलाज न हो तो ये जानलेवा भी साबित हो रहा है. दूसरी तरफ सोशल मीडिया पर ब्लैक फंगस के इलाज को लेकर कई भ्रामक दावों का सिलसिला भी शुरू हो गया है.
कहीं चिकन खाने से ब्लैक फंगस होने का खतरा बताया जा रहा है तो कुछ यूजर ये दावा कर रहे हैं कि अगर घर का फ्रिज साफ है, तो ब्लैक फंगस आपको छू भी नहीं सकता.
यास तूफान के बीच बिहार में आसमान से एलियन गिरने की अफवाह भी काफी वायरल हुई. यूट्यूब पर इस झूठे दावे को 26 लाख से ज्यादा बार देखा गया.
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की एक फोटो को एडिट कर झूठ फैलाया गया कि उनके बुक शेल्फ में धर्म परिवर्तन को बढ़ावा देती किताब है. ऐसे कई भ्रामक दावों को लोगों ने सोशल मीडिया पर सच मानकर शेयर किया. इस हफ्ते सोशल मीडिया पर किए गए इन सभी दावों का सच जानिए एक नजर में.
1. WHO ने नहीं कहा- चिकन खाने से 200% तेजी से फैलता है ब्लैक फंगस
सोशल मीडिया पर कई यूजर एक मेसैज शेयर कर रहे हैं. जिसमें दावा किया गया है कि चिकन खाने से ब्लैक फंगस का खतरा बढ़ता है. वायरल मेसैज है ,''चिकन खाने से ब्लैक फंगस 200% तेजी से फैलता है- WHO." इसमें आगे ये भी सुझाव दिया गया है कि मुुर्गा खाना आज ही छोड़ें.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की तरफ से जारी ऐसी कोई एडवाइजरी हमें नहीं मिली. जिससे पुष्टि होती हो कि चिकन खाने से ब्लैक फंगस का खतरा बढ़ता है. ICMR की ओर से, कोरोना के बीच फैल रहे म्यूकरमाइकोसिस को लेकर जारी की गई एडवायजरी में भी चिकन न खाने जैसे कोई हिदायत नहीं दी गई है.
हमने इस बारे में ज्यादा जानकारी के लिए ICMR के सेंटर फॉर ए़डवांस रिसर्च इन वायरोलॉजी के प्रमुख रह चुके वायरोलॉजिस्ट डॉ. जैकब टी जॉन से संपर्क किया. डॉ. जॉन ने इस दावे को महज एक अफवाह बताया और कहा कि ये पूरी तरह से गलत है.
हमने पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. विकास मौर्य से भी संपर्क किया. उन्होंने भी चिकन से कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ने वाले दावे को फेक बताया.
चिकन खाने से या चिकन की वजह से किसी को ब्लैक फंगस हो सकता है, इस बारे में न तो हमारे पास कोई डेटा है और न ही कोई प्रमाण. ये महज एक मिथ है, जिसे सोशल मीडिया के जरिए फैलाया जा रहा है.डॉ विकास मौर्य, पल्मोनोलॉजिस्ट, फोर्टिस हॉस्पिटल
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2.सोनिया गांधी के शेल्फ में ‘धर्म परिवर्तन’ को बढ़ावा देती किताब?
सोशल मीडिया पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की एक फोटो वायरल हो रही है. फोटो में सोनिया गांधी के पीछे बुक शेल्फ में कुछ किताबें रखी दिख रही हैं, वायरल फोटो में इनमें से एक किताब को हाइलाइट कर दिखाया गया है, इस किताब का शीर्षक है - How to convert India into christian country. (हिंदी अनुवाद - भारत को ईसाई देश में कैसे बदला जाए)
वायरल फोटो को गूगल पर रिवर्स सर्च करने से हमें हिंदुस्तान टाइम्स की 10 अप्रैल, 2021 की रिपोर्ट में भी यही फोटो मिली. इस फोटो का क्रेडिट न्यूज एजेंसी PTI को दिया गया है. लेकिन इस असली फोटो में पीछे रखी वह किताब नहीं दिख रही जो वायरल फोटो में दिखाई गई है.
दोनों फोटो की तुलना करने पर साफ हो रहा है कि असली फोटो में वो किताब नहीं है, जो वायरल फोटो में दिख रही है.
हमने न्यूज एजेंसी PTI के अर्काइव में ये फोटो सर्च की. अर्काइव में दी गई जानकारी के मुताबिक, फोटो 27 अक्टूबर, 2020 की है जब सोनिया गांधी बिहार विधानसभा चुनावों के दौरान लोगों को संबोधित कर रही थीं.
कांग्रेस के ऑफिशियल ट्विटर हैंडल से 27 अक्टूबर, 2020 को किया वह ट्वीट भी मिला, जिसमें सोनिया गांधी का लोगों को संबोधित करते हुए ये वीडियो है.
वायरल फोटो और कांग्रेस पार्टी द्वारा शेयर किए गए वीडियो के विजुअल्स को मिलाने पर साफ हो रहा है कि फोटो में एडिटिंग की गई है. असली विजुअल में न तो पीछे ईसा मसीह की मूर्ति है, न ही वह ‘धर्म परिवर्तन’ से जुड़ी वह किताब जिसे वायरल फोटो में हाइलाइट कर दिखाया जा रहा है.
मतलब साफ है कि सोशल मीडिया पर सोनिया गांधी की अक्टूबर, 2020 की फोटो को एडिट कर गलत दावे से शेयर किया जा रहा है.
3. यूपी में कोरोना वैक्सीन को बर्बाद करती नर्स का नहीं वायरल वीडियो
सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर कर दावा किया जा रहा है कि ये वीडियो अलीगढ़ की एएनएम कार्यकर्ता का है, जो Covid वैक्सीन से भरी सिरिंज को फेंक रही है. वीडियो को न्यूज चैनल Zee Hindustan ने भी इसी दावे के साथ शेयर किया.
अलग-अलग कीवर्ड सर्च करने से हमें इक्वाडोर के एक न्यूज चैनल के ऑफिशियल हैंडल से किए गए ट्वीट में भी यही वीडियो मिला. ये ट्वीट 26 अप्रैल 2021 को किया गया था. इसमें दिए गए टेक्स्ट का हिंदी अनुवाद है - ''हेल्थ मिनिस्टर कैमिलो सेलिनास ने उस नर्स के मामले में जांच का ऐलान किया है जिसने ठीक से वैक्सीन नहीं लगाया था. सेलिनास ने कहा कि कार्रवाई करने के लिए नर्स की पहचान की गई है.''
इक्वाडोर के स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी 26 अप्रैल, 2021 को इस घटना के बारे में ट्वीट किया था ट्वीट का हिंदी अनुवाद है "आज #MuchoLote वैक्सीनेशन पॉइंट पर जो हुआ उसे देखते हुए, हम जनता को सूचित करते हैं कि उस हेल्थ प्रोफेशनल की पहचान की कर ली गई है और संबंधित अधिकारी इसकी जांच करेंगे. मामले से जुड़ी जानकारी पाने के लिए आधिकारिक चैनलों से जुड़े रहें."
ये बात सच है कि उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में एक एएनएम पर कथित तौर पर COVID वैक्सीन से भरी 29 सिरिंज को फेंकने का मामला दर्ज किया गया है, लेकिन इस घटना से जोड़कर शेयर किए जा रहे वीडियो का उत्तरप्रदेश या भारत से कोई संबंध नहीं, असल में ये वीडियो इक्वाडोर के एक वैक्सीनेशन सेंटर की है.
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4. बिहार में तूफान के बीच जमीन पर गिरा खतरनाक जीव?
कुछ यूट्यूब वीडियोज में ये दावा किया गया कि बिहार के दरभंगा में यास तूफान के बीच एक खतरनाक प्राणी धरती पर गिरा. वीडियो में एक अजीबोगरीब विजुअल भी दिख रहा है, दावा किया जा रहा है कि यही वह ''खतरनाक प्राणी'' है.
सितंबर 2020 में इसी कथित 'खतरनाक प्राणी' की फोटो को सोशल मीडिया पर इस दावे के साथ शेयर किया गया था कि भारत में एलियन दिखाई दिया है.
वायरल हो रहे विजुअल्स को गूगल पर रिवर्स सर्च करने से एक ब्लॉग में इसी विजुअल से मिलती जुलती कुछ अन्य तस्वीरें मिलीं. ब्लॉग में दी गई जानकारी से पता चलता है कि Laira Maganuco नाम की आर्टिस्ट सिलिकॉन से बने आर्टवर्क से जुड़ा काम करती हैं. ये विजुअल्स उन्हीं के आर्टवर्क के हैं.
लायरा के फेसबुक और इंस्टाग्राम पेज पर इसी आर्टवर्क की तस्वीरें देखी जा सकती हैं, जिसे बिहार में आए तूफान का बताकर शेयर किया जा रहा है. लायरा ने ये तस्वीरें 2018 में पोस्ट की थीं. कैप्शन से साफ हो रहा है कि ये सिलिकॉन से बने पुतले हैं, कोई खतरनाक प्राणी या एलियन नहीं.
बिहार के दरभंगा में यास तूफान के बीच जमीन पर गिरे खतरनाक प्राणी के बताए जा रहे विजुअल की तुलना हमने उन फोटोज से की, जो आर्टिस्ट ने 2018 में शेयर की थीं. स्पष्ट हो रहा है कि दोनों एक ही हैं.
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5. एसी, कूलर, फ्रिज साफ है तो ब्लैक फंगस का कोई खतरा नहीं?
सोशल मीडिया पर एक मैसेज वायरल हो रहा है, जिसके मुताबिक घर के सामान पर जमा होने वाली काली फफूंद ही वो जानलेवा Mucormycosis है, जो कोरोना संक्रमित मरीजों को अपनी चपेट में ले रहा है.
वायरल मैसेज में कहा गया है कि अगर आप खाने की चीजों और फ्रिज वगैरह पर ये काली फफूंद जमा नहीं होने देते हैं, तो Mucormycosis आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकता. सोशल मीडिया पर ये मैसेज एक बहुत ही गंभीर चेतावनी की तरह शेयर किया जा रहा है.
ICMR ने ब्लैक फंगस को लेकर जो एडवाइजरी जारी की है, उसमें खासतौर पर फ्रिज, कूलर में जमी फफूंद से mucoromycosis का खतरा होने की बात कहीं नहीं है. हालांकि धूल-मिट्टी वाली जगह पर मास्क पहनने, गार्डनिंग जैसे काम करते वक्त ग्लब्स और मास्क के साथ लंबे ट्राउजर और लंबी स्लीव्स वाली शर्ट पहनने की हिदायत जरूर दी गई है. साथ ही ICMR ने ऑक्सीजन कंसंट्रेटर को हमेशा साफ रखने की भी सलाह दी है. यानी वातावरण में मौजूद हर तरह की गंदगी से बचना ज़रूरी है. सिर्फ फ्रिज में जमी हुई फफूंद से नहीं.
एक्सपर्ट्स के मुताबिक सिर्फ बाहरी बैक्टीरिया और फंगस से Mucoromycosis नहीं होता. इंटरनल मेडिसिन एक्सपर्ट बेला शर्मा बताती हैं कि बाहरी फंगस के अलावा कई सारे फैक्टर मिलकर शरीर में mucoromycosis बनाते हैं. ये अंदर जाकर Mucoromycosis का रूप तब लेते हैं जब शरीर कमजोर हो.
हमारे वातावरण में फंगस मौजूद रहती है. खाने-पीने की चीज़ों की तरफ फंगस और बैक्टीरिया आकर्षित होते है. लेकिन, शरीर मे Mucormycosis डेवलप होने के पीछे फंगस के अलावा कई फैक्टर शामिल होते हैं. जैसे इम्युनिटी कम होना, शुगर लेवल हाई होना. ऐसे मामले भी आए हैं जहां स्टेरॉयड या एंटीबायोटिक दवाइयों के हाई डोज़ से Mucormycosis हो गया. खाने-पीने की चीजों और हमारे आसपास फफूंद होना हानिकारक है. लेकिन Mucormycosis के पीछे कारण सिर्फ फंगस नहीं है.डॉ. बेला शर्मा, एडिशनल डायरेक्टर इंटरनल मेडिसिन, फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट
अलग-अलग वस्तुओं पर जमा होने वाली काली फफूंद ही Mucormycosis होती है? इस सवाल का जवाब देते हुए पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ विकास मौर्य कहते हैं
वायरल मेसैज में दी गई जानकारी सही नहीं है. खाने की चीजों पर या फिर हमारे सामान्य वातावरण में जो फफूंद होती है वो Mucormycosis नहीं है. ये बात सही है कि जहां साफ-सफाई नहीं होती वहीं फफूंद जमती है. लेकिन ये Mucormycosis से बिल्कुल अलग है. इसमें कोई शक नहीं.
ऐसी कोई रिसर्च रिपोर्ट भी हमें नहीं मिली, जिससे पुष्टि होती हो कि घर के समान पर जमी फफूंद साफ कर mucormycosis होने का खतरा कम या खत्म हो जाता है.
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6. BJP सांसद प्रज्ञा ठाकुर की पुरानी फोटो भ्रामक दावे से वायरल
बीजेपी सांसद प्रज्ञा ठाकुर की एक पुरानी तस्वीर सोशल मीडिया पर इस दावे के साथ खूब शेयर की जा रही है कि उन्हें एलोपैथिक इलाज के लिए कोकिलाबेन अस्पताल में भर्ती कराया जा रहा है. ये दावा बीजेपी सांसद के उस बयान के बाद आया है जिसमें उन्होंने कहा था कि वो हर दिन गोमूत्र का सेवन करती हैं, क्योंकि इससे कोविड 19 और फेफड़ों के संक्रमण से सुरक्षा मिलती हैं.
हमने फोटो को रिवर्स इमेज सर्च करके देखा. हमें 2013 की कई न्यूज रिपोर्ट्स मिलीं जिनमें इसी फोटो का इस्तेमाल किया गया था. The Hindu में 10 जनवरी 2013 को पब्लिश एक आर्टिकल के मुताबिक, मध्य प्रदेश के भोपाल में जवाहरलाल नेहरू कैंसर अस्पताल में पता चला है कि प्रज्ञा ठाकुर को ब्रेस्ट कैंसर है.
उस समय, प्रज्ञा ठाकुर 2008 के मालेगांव विस्फोट मामने में मुख्य आरोपियों में से एक थीं और भोपाल सेंट्रल जेल में हिरासत में थीं.
हमें Scoopwhoop पर 2016 की एक और रिपोर्ट मिली, जिसमें इसी फोटो का इस्तेमाल किया गया था और इसका क्रेडिट PTI को दिया गया था.
हमने PTI के आर्काइव देखे. हमें 9 जनवरी 2013 की यही फोटो मिली. इसके कैप्शन में लिखा गया था कि फोटो में दिख रहा है कि ठाकुर मध्य प्रदेश के भोपाल में जवाहरलाल नेहरू कैंसर अस्पताल जा रही हैं.
मतलब साफ है कि, बीजेपी सांसद प्रज्ञा ठाकुर की ये फोटो मुंबई के कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल जाने की नहीं हैं और न ही हाल की है. ये फोटो 2013 की है और भोपाल की है जिसे हाल का बताकर शेयर किया जा रहा है.
हालांकि, ऐसा नहीं है कि हाल में प्रज्ञा ठाकुर के अस्पताल में भर्ती होने की कोई खबर नहीं आई है. सांस में तकलीफ की शिकायत के चलते सांसद को मार्च 2021 में अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन शेयर हो रही फोटो पुरानी है.
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