नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) ने 2021 में हुए अपराधों को लेकर एक विस्तृत दस्तावेज (Detailed Report) जारी की है.. इस दस्तावेज में बताया गया है कि IPC के सेक्शन 505 के तहत दर्ज फेक/फॉल्स न्यूज/अफवाहें फैलाने के मामलों में 42% की कमी आई है. उपलब्ध डेटा के मुताबिक साल 2019 में फेक न्यूज फैलाने के 486, 2020 में 1527 और 2021 में 882 मामले दर्ज किए गए थे.
किस राज्य में कितनी कमी?
अफवाहें, भ्रामक सूचनाएं और ''फेक न्यूज'' फैलाने को लेकर दर्ज मामलों को हमने राज्यवार देखा. फेक न्यूज को लेकर सबसे ज्यादा मामले तेलंगाना में 218 मामले दर्ज किए गए. वहीं तमिलनाडु में धारा 505 के तहत 139 मामले, मध्यप्रदेश में 129, उत्तरप्रदेश में 82 और पांचवें नंबर पर महाराष्ट्र में 2021 में फेक न्यूज फैलाने के खिलाफ 66 मामले दर्ज किए गए.
ओडिशा, मिजोरम, गोआ और अरुणाचल प्रदेश में ऐसा कोई मामला दर्ज नहीं हुआ. वहीं केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप में 2 मामले दर्ज हुए.
लद्दाख, दमन और दियू, जम्मू- कश्मीर में एक-एक केस दर्ज हुआ. ये सभी पांच मामले नाबालिगों के खिलाफ थे और सभी मेल थे. इनमें से 4 की उम्र 12 साल से भी कम थी.
सांप्रदायिक नैरेटिव, राजनीति और स्क्रिप्टेड वीडियो
साल 2021 में क्विंट की वेबकूफ टीम ने ऐसे कई दावों की पड़ताल की, जो सोशल मीडिया पर भ्रामक जानकारी फैलाने के लिए किए गए थे. इस साल स्क्रिप्टेड वीडियोज की संख्या तेजी से बढ़ती हुई देखी गई. इन स्क्रिप्टेड वीडियोज को सोशल मीडिया पर असली घटनाओं की तरह, ज्यादातर मामलों में सांप्रदायिक दावों के साथ शेयर किया गया.
उत्तर प्रदेश चुनावों के बीच फरवरी 2022 में सोशल मीडिया पर 'फेक न्यूज' की बाढ़ आ गई.
कभी एक लंबे पोस्ट के जरिए समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव पर तुष्टिकरण का आरोप लगाया गया, तो कहीं एक फोटो शेयर कर सीएम योगी आदित्यनाथ को लेकर भ्रामक दावा किया गया. हिंसा से जुड़ी कई तस्वीरों और वीडियो को गलत सांप्रदायिक दावों के साथ भी शेयर किया गया.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)