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पुतिन ने किया सैन्य कार्रवाई का ऐलान, तीन तरीकों से घुस सकते हैं सैनिक

Russia Ukraine crisis: यदि रूस सैन्य कार्रवाई करता है तो उसके पास संभावित विकल्प क्या हो सकते हैं?

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Russia Ukraine crisis: रूस द्वारा पूर्वी यूक्रेन के अलगाववादी क्षेत्रों - लुहांस्क और डोनेट्स्क (Luhansk & Donetsk)- की स्वतंत्रता को मान्यता देने के बाद पश्चिमी देशों और रूस के बीच तनाव चरम पर है. रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने यूक्रेन के खिलाफ युद्ध का ऐलान कर दिया है. उन्होंने कहा कि यूक्रेन की सेना हथियार डाले और वापस जाए. ऐसे में समझते हैं कि आगे चलकर रूस के हमले का स्टाइल क्या हो सकता है?

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सबसे पहले हम आपको थोड़ा बैकग्राउंड बताते हैं. यह पहली दफा नहीं है जब रूस यूक्रेन की संप्रभुता को सीधी चुनौती देता दिख रहा है. दूसरी तरफ अमेरिका सहित पश्चिमी शक्तियां भी इस असमंजस में दिख रही हैं कि परमाणु हथियारों से लैस देशों के बीच युद्ध का जोखिम उठाए बिना मौजूदा स्थिति से कैसा निपटा जाए.

रूस दरअसल 2014 से ही यूक्रेन के खिलाफ अपनी सैन्य कार्रवाई के लिए जमीन तैयार कर रहा है. 2014 में यूक्रेन पर सीधा हमला करते हुए क्रीमिया प्रायद्वीप पर कब्जा कर लिया और इस तरह यूक्रेन के दक्षिण हिस्से में पैर जमा लिया.

इस बीच पूर्वी यूक्रेन के डोनबास क्षेत्र में अलगाववादी विद्रोह ने रूसी सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों को विद्रोहियों के कंधे पर बंदूक रखकर यूक्रेन में सैन्य अभियानों को जारी रखने का मौका दिया.

अब मौजूदा स्थिति यह है कि इसी डोनबास क्षेत्र के 2 शहरों लुहांस्क और डोनेट्स्क (जो रूसी समर्थनप्राप्त विद्रोहियों के कब्जे में हैं)- की स्वतंत्रता को रूस ने अपनी मान्यता दे दी है. इसके साथ ही पुतिन को अपनी संसद से इस बात कि अनुमति भी मिल गयी है कि रूसी सेना अब देश के बाहर भी तैनात की जा सकती है.

पूर्वी बॉर्डर से हमला

मौजूदा स्थिति को देखते हुए रूस द्वारा यूक्रेन पर सैन्य हमले का सबसे संभावित रास्ता यही दिखता है. कारण है यूक्रेन के पूर्वी बॉर्डर पर मौजूद लुहांस्क और डोनेट्स्क के तथाकथित गणराज्य की स्वतंत्रता को रूस ने हाल ही में मान्यता दी है.

लुहांस्क और डोनेट्स्क में अधिकतर रूसी भाषी और रूसी जनजाति के लोग रहते हैं और इनके बीच रूस के लिए समर्थन भी बहुत है.

विशेषज्ञों का मानना है कि रूस के इशारे पर काम करने वाली डोनेट्स्क और लुहान्स्क में विद्रोही ताकतें अपने ही लोगों पर झूठा हमले करेंगी और उनका दोष यूक्रेनी सेना के सिर मढ़ देंगी. ऐसी स्थिति में रूस के पास इन “स्वतंत्र गणराज्य’ की मदद के नाम पर यूक्रेन पर सैनिक हमला करने का बहाना होगा.

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यहां रूसी सेनाएं हथियारों, आपूर्ति और खुफिया जानकारी के साथ इन अलगाववादी क्षेत्रों को मजबूत करने की कोशिश कर सकती हैं. रूस इन क्षेत्रों को और अधिक यूक्रेनी क्षेत्र हड़पने के लिए एक लॉन्चिंग पैड के रूप में उपयोग कर सकता है ताकि वह उन क्षेत्रों पर भी पूरी तरह से कब्जा कर सके जहां जातीय रूसी और रूसी भाषी बड़ी संख्या में मौजूद हैं.

अगर ऐसा होता है तो रूसी सेना नीपर नदी (Dnieper river) तक पहुंच जाएगी, जो यूक्रेन को पूर्व और पश्चिम में विभाजित करती है.

कीव में कठपुतली सरकार बैठाना

रूस के राष्ट्रपति पुतिन यूक्रेन की वर्तमान सरकार को हटाने की कोशिश भी कर सकते हैं ताकि उसे मॉस्को के लिए अधिक अनुकूल हाथों के साथ रिप्लेस किया जा सके.

विशेषज्ञों का मानना है कि आश्चर्यजनक रूप से ये ऐसे यूक्रेनी नेता होंगे जो पहले से ही यूक्रेनी सरकार में काम कर रहे हैं. इन्होंने रूस के प्रति अपना झुकाव दिखाया है और उसके साथ काम भी किया है.

हालांकि अगर ऐसा हुआ तो रूस के लिए सबसे बड़ी चिंता यह होगी कि यूक्रेन की सेना और पुलिस की कैसी प्रतिक्रिया रहती है. मॉस्को के अनुकूल कठपुतली सरकार बनने के खिलाफ आम लोग भी सड़क पर उतर सकते हैं.

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पूरी क्षमता से हमला

अंतिम संभावना है कि रूस यूक्रेन पर पूरी क्षमता के साथ हमला कर दे. इसके लिए रूस यूक्रेन के पूर्वी बॉर्डर पर मौजूद अपनी सेना के साथ-साथ उत्तर में मौजूद अपनी सेना का भी इस्तेमाल करेगा. लेकिन यह स्थिति यूक्रेन के लोगों के लिए तबाही वाली होगी.

इस युद्ध के बीच यूक्रेन के पश्चिम में मौजूद देशों और पोलैंड, हंगरी, रोमानिया और मोल्दोवा के सीमावर्ती राज्यों में रिफ्यूजियों की भीड़ जाएगी. दूसरे विश्व युद्ध के बाद यूरोप में इस तरह का शरणार्थी संकट सबसे बड़ा हो सकता है.

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