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सिद्धार्थ शुक्ला, अफगानिस्तान-तालिबान और मुगल इतिहास से जुड़े झूठे दावों का सच

सिद्धार्थ शुक्ला के आखिरी वीडियो वाले झूठे दावे से लेकर अफगानिस्तान से जुड़े झूठे दावों का सच एक जगह जानिए

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हर बार की तरह इस बीते हफ्ते भी सोशल मीडिया पर कई फेक दावे वायरल हुए. ये फेक दावे सिर्फ अफगानिस्तान और तालिबान को लेकर ही नहीं, बल्कि सांप्रदायिक एंगल से भी शेयर किए गए.

सिद्धार्थ शुक्ला के निधन के तुरंत बाद ही, एक्टर को लेकर भी फेक दावा किया गया. किसी और का वीडियो शेयर कर ये झूठा दावा किया गया कि ये वीडियो तब का है जब सिद्धार्थ को हार्ट अटैक पड़ा था.

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इसके अलावा, उज्जैन में हाईकोर्ट के आदेश पर हटाई जा रही एक अवैध बस्ती का वीडियो इस झूठे दावे से वायरल किया गया कि देश विरोधी नारे लगाने वालों के घर गिराए जा रहे हैं.

इतिहास को लेकर भी फेक नैरेटिव फैलाया गया कि स्कूलों में सिर्फ मुगलों का ही इतिहास पढ़ाया जाता है. इस हफ्ते किए गए ऐसे ही तमाम फेक दावों की पड़ताल हमने की और सच आप तक पहुंचाया. एक नजर में जानिए इस हफ्ते सोशल मीडिया पर किए गए झूठे और भ्रामक दावों का सच.

सिद्धार्थ शुक्ला के हार्ट अटैक के वक्त का वीडियो?

एक्टर Sidharth Shukla का गुरुवार 2 सितंबर को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया. इस खबर के आने के कुछ देर बाद ही, सीढ़ियों पर बैठे एक शख्स के गिरने का वीडियो इस दावे से शेयर किया जाने लगा कि ये वीडियो तब का है, जब सिद्धार्थ शुक्ला को दिल का दौरा पड़ा था.

वीडियो को ध्यान से देखने पर दाईं ओर सबसे ऊपर डेट स्टैंप देखा जा सकता है, जिसमें लिखा है '25/08/2021'. यानी ये वीडियो अभी का नहीं है.

वायरल वीडियो को कई कीफ्रेम में बांटकर रिवर्स इमेज सर्च करने पर हमें कन्नड़ वेबसाइट Vitla News पर 30 अगस्त का एक आर्टिकल मिला. इस आर्टिकल के मुताबिक, ये वीडियो बेंगलुरु का है जिसमें एक शख्स हार्ट अटैक की वजह से गिरता हुआ दिख रहा है. आर्टिकल के मुताबिक, ये घटना बनशंकरी गोल्ड जिम की है.

बनशंकरी पुलिस स्टेशन में तैनात ASI और गोलड जिम के सेंटर मैनेजर ने पुष्टि की कि ये वीडियो बेंगलुरु का ही है.

मतलब साफ है कि बेंगलुरु का एक पुराना वीडियो इस झूठे दावे से शेयर किया जा रहा है कि वीडियो में दिवंगत एक्टर को हार्ट अटैक होते देखा जा सकता है.

पूरी पड़ताल यहां पढ़ें

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अमेरिका की मदद करने वाले अफगानी को फांसी देते तालिबान का वीडियो?

सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर कर दावा किया जा रहा है कि अमेरिकी सेना के वापस लौटते ही तालिबान ने अमेरिका की मदद करने वाले एक अफगानी नागरिक को हेलीकॉप्टर से लटकाकर फांसी दे दी. वीडियो में एक शख्स हेलीकॉप्टर से लटका दिख रहा है.

वायरल वीडियो को ध्यान से देखने पर समझ आता है कि हैलीकॉप्टर में दिख रहा शख्स झूल रहा है और जीवित स्थिति में है. वीडियो को जूम-इन करने पर भी ऐसा कुछ नजर नहीं आता कि फांसी दिए जाने के दावे की पुष्टि हो.

सोशल मीडिया पर फैक्ट चेकर्स ने इसी वीडियो का एक और वर्जन सोशल मीडिया पर शेयर किया है. जिसमें हेलीकॉप्टर के नीचे लटके शख्स को हाथ हिलाते हुए देखा जा सकता है.

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इस मामले में अफगान न्यूज एजेंसी ने ये पुष्टि की है कि वायरल वीडियो में दिख रहा शख्स कंधार में स्थित गवर्नर ऑफिस पर झंडा फहराने की कोशिश कर रहा है. अफगान न्यूज एजेंसी ने 30 अगस्त को एक ऐसा ही वीडियो ट्वीट किया था.

अफगानिस्तान के स्थानीय पत्रकार ने भी पुष्टि की है कि वीडियो में दिख रहा शख्स कंधार स्थित गर्वनर हाउस पर झंडा फहराने की कोशिश कर रहा है. फांसी दिए जाने का दावा भ्रामक है.

तालिबान द्वारा अमेरिकी सरकार की मदद करने वाले अफगानी को फांसी देने का दावा करते ट्वीट्स को ट्विटर ने ''गलत संदर्भ'' के रूप में मार्क भी किया है.

पूरी पड़ताल यहां पढ़ें

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शोषण के आरोपी बीजेपी नेता को पीटती महिला का वीडियो, लखनऊ गर्ल से जोड़कर वायरल

सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो वायरल में पहले एक महिला एक शख्स को डंडे से मारती दिख रही है. उसके बाद, वो शख्स उस महिला और उसके साथ खड़ी दूसरी महिला को बुरी तरह से पीटता है.

ये वीडियो लखनऊ के उस मामले से जोड़कर शेयर किया जा रहा है, जिसमें एक लड़की ने कैब ड्राइवर को पीटा था और उसका वीडियो भी वायरल हुआ था.

वीडियो को इस दावे से शेयर किया जा रहा है, "सब लखनऊ के ड्राइवर की तरह नहीं होते।।।मैडम को कौन बताए."

Dainik Bhaskar की 23 अगस्त की रिपोर्ट के मुताबिक, ये मामला छत्तीसगढ़ के बलौदा बाजार जिले का है. जहां महिला अपनी बेटी के साथ बीजेपी पार्षद सूर्यकांत ताम्रकर को चेतावनी देने गई थी, क्योंकि वो बार-बार महिला से संबंध बनाने के लिए कह रहा था.

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News18, Amar Ujala, और The Lallantop ने भी इस मामले पर स्टोरी की है. जिनके मुताबिक, महिला ताम्रकर को समझाने गई थी, जिसके बाद झगड़ा बढ़ गया और महिला को और उसकी बेटी को ताम्रकर और उसके दोस्त ने बेरहमी से पीट दिया.

पुलिस के मुताबिक, दोनों आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है.

मतलब साफ है, बीजेपी पार्षद को पीटती एक महिला का वीडियो, लखनऊ में एक कैब ड्राइवर की पिटाई करती महिला के वीडियो से जोड़कर भ्रामक संदर्भ से शेयर किया जा रहा है.

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क्या स्कूलों में सिर्फ मुगल इतिहास ही पढ़ाया जाता है, मराठा और राजपूतों का नहीं?

सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक मैसेज में ये दावा किया जा रहा है कि स्कूलों में सिर्फ मुगल साम्राज्य का इतिहास पढ़ाया जाता है.

हमने कक्षा 6 से लेकर कक्षा 12 तक की इतिहास की किताबें खंगोलीं. हमने पाया कि मुगलों के साथ-साथ मराठा, राजपूत, मौर्य, अहोम, चोल, विजयनगर और गुप्त साम्राज्यों के बारे में भी पढ़ाया जाता है.

नीचे स्लाइडशो में आप अलग-अलग कक्षाओं की किताबों की तस्वीरें देख सकते हैं.

  • कक्षा 12 की किताब

    (सोर्स: स्क्रीनशॉट/वेबसाइट/NCERT)

मतलब साफ है सोशल मीडिया पर किया जा रहा ये दावा झूठा है कि स्कूलों के सिलेबस में सिर्फ मुगलों का ही इतिहास पढ़ाया जाता है.

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क्या सच में MP सरकार ने गिराई 'देश विरोधी' नारे लगाने के आरोपियों की बस्ती?

सोशल मीडिया पर मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के उज्जैन का एक वीडियो वायरल हो रहा है. वीडियो में देखा जा सकता है कि बुलडोजर से बस्ती गिराई जा रही है. दावा है कि मध्य प्रदेश सरकार ने उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई की है, जिनपर मुहर्रम के जुलूस में ''पाकिस्तान जिंदाबाद'' के नारे लगाने का आरोप है.

हमने घटना से जुड़े जरूरी कीवर्ड सर्च किए और हमें Dainik Bhaskar की 27 अगस्त को पब्लिश एक रिपोर्ट मिली. रिपोर्ट के मुताबिक, इंदौर रोड पर (हरि फाटक) ओवर ब्रिज के पास की करोड़ों की जमीन पर कई सालों से दुकानदार, गैराज और लोहे की अलमारी बनाने वालों ने कब्जा कर रखा था, जिसे हाईकोर्ट के आदेश के बाद हटा दिया गया है.

इसके अलावा, हमें Zee News की 27 अगस्त को पब्लिश एक रिपोर्ट मिली.

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रिपोर्ट के मुताबिक, स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत महाकाल मंदिर को 10 गुना बड़ा करने की योजना पर काम चल रहा है. इस रास्ते पर आने वाले सभी तमाम अवैध मकानों को ध्वस्त करने के लिए हाईकोर्ट ने आदेश दिया था. इसी के अंतर्गत ये कार्रवाई की गई है.

हमें क्विंट हिंदी की 23 अगस्त को पब्लिश एक रिपोर्ट और Dainik Bhaskar की 20 अगस्त को पब्लिश रिपोर्ट मिलीं. रिपोर्ट्स के मुताबिक, वह कार्यक्रम उज्जैन की गीता कॉलोनी में हुआ था, जहां ''पाकिस्तान जिंदाबाद'' के नारे लगने का आरोप लगा. जबकि कॉलोनी हरिफाटक के पास गिराई गई थीं. दोनों जगहों की आपस में दूरी 3 किमी से भी ज्यादा है.

मतलब साफ है कि उज्जैन में अवैध बस्ती हटाने का वीडियो गलत दावे से शेयर किया जा रहा है.

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