ADVERTISEMENTREMOVE AD

आशा वर्कर- विदेश में मिला सम्मान, देश में मिलता 'अपमान'

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 10 लाख महिला आशा कार्यकर्ताओं को ग्लोबल हेल्थ लीडर्स अवॉर्ड से सम्मानित किया है

छोटा
मध्यम
बड़ा
ADVERTISEMENTREMOVE AD

पूनम के पति की मौत हो चुकी है. अब उनके परिवार में सिर्फ 2 लोग हैं. लेकिन आशा वर्कर के रूप में पूनम को महीने में मात्र 2250 रुपये का मानदेय मिल पाता है. जिससे उनके एकलौते बेटे की पढ़ाई-लिखाई भी मुश्किल है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 10 लाख महिला आशा कार्यकर्ताओं (Aasha Workers) को ग्लोबल हेल्थ लीडर्स अवॉर्ड से सम्मानित किया है. ये सम्मान उन्हें ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधा पहुंचाने के लिए और कोरोना महामारी के खिलाफ उनकी महत्वपूर्ण भूमिका के लिए मिला है.

द क्विंट ने लखनऊ (Lakhnow) के ग्रामीण क्षेत्रों की आशा कार्यकर्ताओं से बात कर कोरोना के दौरान आनेवाली समस्याओं को जानने की कोशिश की.

हेल्थ लीडर्स अवार्ड पर सपना श्रीवास्तव कहती हैं- "अवार्ड मिला है, अच्छी बात है, लेकिन किसे मिला है, यह हमलोगों के जानकारी में नही हैं."

" कोरोना के दौरान हमारे यहां की कई आशा वर्कर की मृत्यु हो गई. हमलोग अपनी जान हथेली पर लेकर जमीन पर जाते हैं. स्वास्थ्य विभाग को आयुष्मान कार्ड और हेल्थ बीमा जैसी अन्य सुविधाएं हमलोगों के लिए लागू करना चाहिए."
सपना श्रीवास्तव , आशा कार्यकर्ता

कोरोना के दौरान बिना मास्क करना पड़ा काम

पूनम कहती हैं- "कोरोना के दौरान जब लोगों के घर जाते थे तो लोग घर का दरवाजा बंद कर लेते थे. हम दरवाजा खुलवाकर लोगों को समझाते थे, दवा दिलवाते थे और अपनी जान हथेली पर रख कर सबको अस्पताल ले जाते थे. स्वास्थ्य विभाग का प्रेशर रहता था हमलोगों पर, विभाग के बड़े लोग किसी को हाथ नहीं लगाते थे लेकिन हमलोगों को बिना मास्क काम करना पड़ता था, कोरोना खत्म होने पर सारा सामान दिया गया."

कोरोना के दौरान हमारे कई साथी कार्यकर्ताओं की मृत्यु हो गई. कई लोगों को 20-25 हजार रुपये अपने स्वास्थ्य के ऊपर लगाना पड़ा लेकिन स्वास्थ्य विभाग के तरफ से कोई सुविधा नहीं मिली.
रामपति, आशा कार्यकर्ता
ADVERTISEMENTREMOVE AD

आशा कार्यकर्ता को कई तरह के काम करने पड़ते हैं

आशा वर्कर रीता कहती हैं- हमलोगों को कई तरह के काम करने पड़ते हैं. हमारे ऊपर बहुत सारी जिम्मेदारियां हैं.

दूसरी आशा कार्यकर्ता पूनम सिंह कहती हैं- जमीन पर काम करने में बहुत मुश्किल होती है, लोग बात नहीं समझते है.

टीकाकरण, गृह भ्रमण, बैठक समेत कई तरह के काम करने होते हैं.

आशा कार्यकर्ताओं की मांग?

एक आशा कार्यकर्ता कहती हैं, "जिसके घर में 10-22 लोग हैं, वो 2250 रुपये में घर कैसे चलाएंगे. कम से कम 10 हजार मानदेय होना चाहिए. हमलोग स्वास्थ्य विभाग की सीढ़ी के सबसे निचले पायदान पर हैं, हमलोग काम देंगे तो ऊपर भी काम होगा."

सभी आशा कार्यकर्ताओं की मांग है कि स्वास्थ्य विभाग की तरफ से सभी कार्यकर्ताओं के लिए आयुष्मान कार्ड, स्वास्थ्य बीमा, मानदेय वृद्धि समेत अन्य प्रकार की सुविधाएं लागू की जाए.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×