इस हफ्ते सोशल मीडिया पर कई गलत दावे वायरल हुए. जैसे कि, मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की पुरानी फोटो इलाहाबाद यूनिवर्सिटी (Allahabad Univeristy) के छात्रों की बता इस झूठे दावे से शेयर की गई कि इन्हें बम बनाते हुए पकड़ा गया था. हल्दीराम (Haldiram) कंपनी से जुड़े झूठे दावों के फेहरिस्त में एक और झूठा दावा वायरल हुआ कि कंपनी को मुस्लिम शख्स को बेच दिया गया है.
तिरुपति बालाजी मंदिर के पुजारी के नाम से एक झूठा दावा वायरल हुआ कि उन्होंने लोगों से कहा कि मंदिर को दान न दें क्योंकि ये रुपया दूसरे धर्मों पर खर्च होता है. इसके अलावा, गुजरात का एक वीडियो खरगोन हिंसा से जोड़कर शेयर किया गया, जिसमें एक महिला उठक-बैठक लगाती दिख रही है.
महाराष्ट्र की सांसद नवनीत राणा और उनके पति ने ऐलान किया था कि वो सीएम उद्धव ठाकरे के घर के बाहर हनुमान चालीसा का पाठ करेंगे. इस विवाद के बीच ही नवनीत राणा के नाम पर एक फर्जी ट्विटर अकाउंट सामने आया. इस हफ्ते किए गए ऐसे तमाम दावों की पड़ताल क्विंट की वेबकूफ टीम ने की. जानते हैं इन सभी दावों का सच सरसरी निगाह में
ये फोटो बम बनाते पकड़े गए इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स की नहीं
एक फोटो जिसमें कुछ युवक और युवतियों के साथ पुलिसकर्मी देखे जा सकते हैं, को इस दावे से शेयर किया गया कि ये फोटो इलाहाबाद यूनिवर्सिट के छात्रों की है, जिन्हें हॉस्टल में बम बनाते हुए पकड़ा गया है.
पड़ताल में हमें Dainik Bhaskar सहित दूसरी वेबसाइट्स पर भी 3 साल पहले पब्लिश आर्टिकल मिले. जिनमें इसी तस्वीर का इस्तेमाल किया गया था. आर्टिकल के मुताबिक, मध्य प्रदेश के रतलाम जिले में सेक्स रैकेट के आरोपी गिरोह का भंडाफोड़ पुलिस ने किया था.
मतलब साफ है कि ये फोटो इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में बम बनाते पकड़े गए छात्रों की नहीं, बल्कि रतलाम में पकड़े गए एक सेक्स रैकेट गिरोह की है.
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हल्दीराम कंपनी के मालिक से जुड़ा ये सांप्रदायिक दावा गलत है
सोशल मीडिया पर वायरल एक पोस्ट में दावा किया जा रहा है कि मिठाई और स्नैक्स बनाने वाली कंपनी हल्दीराम का मालिक एक मुस्लिम है. दावे में ये भी कहा गया है कि कंपनी को ''पिछले मालिक के दोनों पोते, योगेश और नरेश खंडेलवाल'' ने बेच दिया था.
हालांकि, हमने पाया कि हल्दीराम ग्रुप के फाउंडर गंगा बिशन अग्रवाल (हल्दीराम) का योगेश और नरेश नाम का कोई पोता नहीं है. इसके अलावा, कंपनी का बिजनेस अभी भी अग्रवाल परिवार के स्वामित्व में है.
हमें 2019 में Forbes में पब्लिश एक आर्टिकल मिला, जिसमें हल्दीराम का फैमिली ट्री दिखाया गया था. और इसमें योगेश और नरेश नाम का कोई शख्स मौजूद नहीं था, जैसा कि वायरल पोस्ट में दावा किया गया है.
मतलब साफ है कि ये दावा गलत है कि हल्दीराम का स्वामित्व एक मुस्लिम के पास है.
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क्या तिरुपति बालाजी के मुख्य पुजारी ने कहा-ना दो दान, दूसरे धर्मों पर होता खर्च?
एक वायरल मैसेज में दावा किया गया कि तिरुपति बालाजी मंदिर के मुख्य पुजारी ने हिंदुओं से मंदिर की दान पेटी में कोई दान न देने की अपील करते हुए कहा है कि ''मंदिर का पैसा हिंदुओं पर नहीं ईसाई और मुस्लिम समुदाय पर खर्च होता है''. वायरल मैसेज को मुख्य पुजारी की तरफ से जारी की गई अपील की तरह शेयर किया गया.
हमारी पड़ताल में ये दावा भ्रामक निकला. ये सच है कि तिरुपति बालाजी मंदिर के मुख्य पुजारी कई बार मंदिर के प्रबंधन पर दान का सही उपयोग न करने के आरोप लगा चुके हैं. एक इंटरव्यू में वे लोगों से दान न करने को भी कह चुके हैं. लेकिन, न तो मैसेज में बताया गया सांप्रदायिक एंगल सच है. न ही मुख्य पुजारी ने आंध्र प्रदेश सीएम YS जगनमोहन रेड्डी पर ऐसा कोई आरोप लगाया है, जैसा कि वायरल मैसेज में दावा है.
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हनुमान चालीसा विवाद के बीच सामने आया सांसद नवनीत राणा का फर्जी ट्विटर अकाउंट
लोकसभा सांसद नवनीत राणा (Navneet Rana) और उनके पति विधायक रवि राणा ने हाल में ही कहा था कि वो मुंबई में महाराष्ट्र सीएम उद्धव ठाकरे के आवास के बाहर हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa) का जाप करेंगे. इसी दौरान ट्विटर पर '@kaur_navneet__' यूजरनेम वाले अकाउंट से हाल के घटनाक्रम से जुड़े पोस्ट शेयर किए गए.
हालांकि, पड़ताल में हमने पाया कि ये नवनीत राणा के नाम पर बना एक फर्जी अकाउंट है, जो 2021 में बनाया गया था. हमें इसी अकाउंट से किया गया एक पुराना ट्वीट मिला, जिसमें 'Pratima_Paandey' हैंडल देखा जा सकता है, जिसे बाद में बदलकर 'kaur_navneet__' कर दिया गया.
हमें 2021 का एक पुराना ट्वीट भी मिला, जिसमें यूजर के लिखने के तरीके से ऐसा लग रहा है कि वो पुरुष है.
मतलब साफ है कि 'kaur_navneet__' यूजरनेम वाला ट्विटर अकाउंट नवनीत राणा का नहीं है, बल्कि उनके नाम से बना एक फेक अकाउंट है.
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उठक बैठक लगाती बुर्का पहने महिला का ये वीडियो गुजरात का है, खरगोन का नहीं
सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में बुर्का पहने एक महिला सड़क पर उठक-बैठक करती नजर आ रही है. महिला के चारों ओर पुलिसकर्मी खड़े दिख रहे हैं. दावा किया गया कि ये वीडियो मध्य प्रदेश के खरगोन का है, जहां 10 अप्रैल को सांप्रदायिक हिंसा हुई थी.
हालांकि, हमने पाया कि वीडियो खरगोन का नहीं, बल्कि गुजरात के सूरत का है और 2020 का है. तब कोरोना लॉकडाउन से जुड़े नियमों को न मानने की वजह से महिला से उठक बैठक लगवाई गई थी.
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